How to Check AKTU Exam Copy : Dr. A P J Abdul Kalam Technical University (AKTU) में एग्जाम की कॉपी कैसे चेक होती है, एग्जाम देने के बाद छात्रों के कॉपी के साथ क्या क्या किया जाता है, इस आर्टिकल में पूरी जानकारी विस्तार में बताया गया है अंत तक जरूर पढ़ें।

How to Check AKTU Exam Copy : AKTU Copy कैसे चेक होती है?
आपको बता दें कि एग्जाम देने के बाद स्टूडेंट्स की लिखी कापियां सेंटर पर सील होने के बाद पोस्ट ऑफिस के माध्यम से विश्वविद्यालय पहुंचती हैं। यहाँ पैकेट खुलने के बाद पूरी की पूरी कॉपी को स्कैन की जाती हैं। चाहे भरी हो या खाली।
कॉपी के main page पर एक बार कोड लगा होता हैं। अंदर के हर पेज में अलग से बार कोड की व्यवस्था हैं जिनका संबंध मुख्य पृष्ठ के बार कोड से होता हैं।
स्कैनिंग के समय विश्वविद्यालय के अधिकारी मौजूद रहते हैं। इस पूरी प्रक्रिया को CCTV से भी मॉनिटर किया जाता है।
फ्रंट पेज की सभी जानकारी को कोड से एन्क्रिप्ट करने की व्यवस्था है और उस फ्रंट पेज की सॉफ्ट कॉपी को बाकी पेजेज़ से अलग कर दिया जाता है।
इस प्रकार स्कैनिंग के बाद किसी भी कापी पर किसी छात्र का रोल नंबर, नाम या कॉलेज का नाम नहीं बचता। ये कोड द्वारा Replace कर दिया जाता है। ऐसी सभी कोडेड कॉपियां स्कैनिंग के बाद सर्वर पर पहुँच जाती है। इसके बाद राज्य भर में बने 50 से अधिक केन्द्रों पर परीक्षकों को बुलाया जाता है।
प्रत्येक पेज पर परीक्षक को कोई न कोई निशान बनाने की अनिवार्यता है। चाहे स्टूडेंट ने लिखा हो या सादा छोड़ दिया हो। इसीलिए यह संदेह खुद से खारिज हो जाता है कि परीक्षक बिना देखे ही कॉपी चेक करते हैं।
कापियों के चेकिंग के साथ ही विश्वविद्यालय इस बात पर नजर रखता है कि किसी भी स्टूडेंट को 0 से 10 फीसद या 80 फ़ीसदी से ऊपर मिला है तो उन कापियों की दोबारा चेकिंग के लिए भेजा जाता है, लेकिन
नए Examiner को ये पता नहीं होता कि वो कॉपी दोबारा चेक कर रहा है।
ऐसा करके हम सुनिश्चित करना चाहते हैं कि हमारे किसी भी स्टूडेंट के साथ किसी भी तरह की ज्यादती नहीं होने पाए।
अगर दोबारा जांच के बाद प्राप्तांक पहले मिले अंक में पूणांक के 15 फ़ीसदी से ज्यादा अंतर है तो उस कॉपी को नए Examiner के पास भेजा जाता है। यानी वह काफी तीसरी बार चेक की जाती है।
अगर तीनों बार की चेकिंग में पूर्णाक के 15 फीसदी से ज्यादा का अंतर पाया जाता है तो इस स्तिथि में उस कॉपी को एक विशेषज्ञ परीक्षक से Examiner से विश्वविद्यालय परिसर में परीक्षा नियंत्रक महोदय की देखरेख में चेक कराने का नियम है और इसी चेकिंग के नंबर अंतिम रूप से मान्य होते हैं और यह सब विश्वविद्यालय सिर्फ और सिर्फ इसलिए करता है कि किसी भी स्टूडेंट के साथ ज्यादती नहीं होने पाए।
एक और महत्वपूर्ण बात 10 फीसदी कापियों की रैंडम चेकिंग विश्वविद्यालय अलग से भी कराता है। यह विश्वविद्यालय की मॉनीटरिंग सिस्टम का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
कॉपी की चेकिंग में किसी भी तरह की गड़बड़ी पाए जाने पर एग्जामिनर्स के खिलाफ कार्रवाई भी होती है आर्थिक दंड से लेकर हमेशा के लिए एग्जामिनेशन सिस्टम से बाहर करने तक की व्यवस्था लागू है और ऐसी सजा दी जा रही है।
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